Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
इंसां ये पिंजरा नहीं तेरा।
माटी चुन चुन महल बनाया, लोग कहें घर तेरा।
ना घर तेरा, ना घर मेरा, चिड़िया रैन बसेरा।।
बाबा दादा भाई भतीजा,कोए न चले संग तेरा।
हाथी घोड़ा माल खजाना, पड़ा रहे धन तेरा।।
मात पिता स्वार्थ के लोभी, कहते मेरा मेरा।
कहत कबीर सुनो भइ साधो, इक दिन जंगल डेरा।।