Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
इक दिन तो यहां से चलन होगा, बन्दे काहे पाप करे।।
बचपन बीता आई जवानी, हुआ नशे में चूर।
इस सुंदर काया पे काहे, तूने किया गरूर।
माटी एक दिन तन होगा।।
निर्धन और भूखे को तूने, कभी दिया ना दान।
आप कमाया आपै खाया, खूब दिखाई शान।
बेकार तेरा यो धन होगा।।
के लेकै आया जग में,और के लेकै जाए।
मुट्ठी बांध के आया था तुं, हाथ पसारे जाए।
दो गज तन पे कफ़न होगा।।
पाप छोड़ कर अब तुं बन्दे, चल मुक्ति के धाम।
हरी भजन से बन जाएंगे,तेरे सारे काम।
साफ ये चंचल मन होगा।।