Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
दुनिया से हम हारे, तो आए तेरे द्वार।
यहां से गर जो हारे, कहां जाएंगे सरकार।
दुनिया से मैं हारा, तो आया तेरे द्वार।
यहां से गर जो हारा, कहाँ जाऊँगा सरकार।।
दुनिया से मैं हारा, तो आया तेरे द्वार।
यहां से गर जो हारा, कहाँ जाऊँगा सरकार।।
सुख में गुरू जी तेरी याद न आई,
दुःख में पृभु जी तुमसे प्रीत लगाई।
सारा दोष है मेरा मैं करता हूं स्वीकार।।
मेरा क्या है मैं तो, पहले से हारा,
तुमसे ही पूछेगा सँसार सारा।
डूब गई क्यों नैया तेरे रहते खेवन हार।।
तुमसे ही पूछेगा सँसार सारा।
डूब गई क्यों नैया तेरे रहते खेवन हार।।
सबकुछ लुटा बस लाज बची है,
तुम पे ही बाबा बस आश बंधी है।
सुना है तुम सुनते हो, हम जैसों की पुकार।।
तुम पे ही बाबा बस आश बंधी है।
सुना है तुम सुनते हो, हम जैसों की पुकार।।
जिसको बताया मैनें अपना फसाना,
सबने बताया हमको तेरा ठिकाना।
मैने तुमको माना, मातपिता परिवार।।
सबने बताया हमको तेरा ठिकाना।
मैने तुमको माना, मातपिता परिवार।।