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दो दिन की जिंदगानी रे प्राणी, काहे करे तुं गुमान रे-Kabir Ke Shabd-do din ki jindgaani re praani, kaahe kare tun gumaan re।।

SANT KABIR (Inspirational Biographies for Children) (Hindi Edition ...
Kabir Ke Shabd 

कबीर के शब्द

दो दिन की जिंदगानी रे प्राणी, काहे करे तुं गुमान रे।।
जीवन बहता पानी रे बन्दे,  करे तुं गुमान रे, अरे इंसान रे।।


धन और दौलत बड़ा ही कमाया,  इस माया ने हरी को भुलाया।
माया तो आनी जानी रे प्राणी।।
काया पे काहे गुमान करै सै, इस पै क्यों अभिमान करै सै।
रहता ना रूप जवानी रे प्राणी।।

मोह माया से प्रीत हटा लें, हरिनाम से प्रीत लगाले।
छोड़ दे ये मनमानी रे प्राणी।।

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