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धरती धन्य जहां पर जन्मे,साधु संत फकीर। रे भैया-Kabir Ke Shabd-dharti dhany jahaan par janme,saadhu sant phakir। re bhaiyaa।

SANT KABIR (Inspirational Biographies for Children) (Hindi Edition ...
Kabir Ke Shabd 

कबीर के शब्द
धरती धन्य जहां पर जन्मे,साधु संत फकीर। रे भैया।

कांसी की माटी में प्रगटे,सद्गुरु सन्त कबीर।। रे भैया।।

जात पात और ऊंच नीच का, सारा बन्धन तोड़ा।
मानव भीतर मानवता का, सच्चा नाता जोड़ा।
कल्पित देवी और देवता, पीर औलिया ओझा।
साहस से सब ललकारा, दूर हटाया बोझा।
सत्य नाम सत्य ज्ञान सत्य हित, धारण किया शरीर।।

मन्दिर मस्जिद गिरजाघर, देवालय ओर गुरुद्वारा।
सबका निर्माता है मानव, सद्गुरु ने उच्चारा।
वेद बाइबिल गीता मानस,या होवें गुरू वाणी।
सबमें छुपी धर्म मर्यादा, ये सन्तों की वाणी।
जातपात मजहब ना देखे, हरी दीन की पीर।।

नदियां सागर पर्वत कानन, सब का नाम बड़ा है।
सबके इनके नाम अलग अलग, नहीं कहीं झगड़ा है।
घट घट वासी राम सभी मे, कहते ईश्वर अल्लाह।
एक वस्तु है नाम कईं हैं, करते हैं सब हल्ला।
जीव दया सम धर्म न पूजा, हरी जीव की पीर।।

ईशा नानक दादू गोरख, और मोहम्मद जानो।
राम कृष्ण गौतम कबीर, इन सबको शुभ चिंतक मानो।
श्रम विवेक सेवा मर्यादा, सत्य अहिंसा धारो।
सबको अपने जैसा समझो, काम क्रोध को मारो।
सदियों की बेड़ी रूढ़ि को, तोड़ धरै मति धीरा।।
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