Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
चरखा रो भेद बतादे, सुन कातन आली नार।।
दोरानी घर म्हंडो रचो हे, जेठानी घर ब्याह।
देवरिया चोरी चढो रे, नन्दोईया फेरे खाए।।
बेटी बोली बाप से, मेरो अंजाया वर लाए।
अनजाया वर ना मिले तो मेरो तेरो ब्याह।।
अनजाया वर ना मिले तो मेरो तेरो ब्याह।।
चरखो तेरो रंग रंगीलो, पूनी लाल गुलाल।
कातन असली शाम सुंदरी, मुड़ तुड़ घालै तार।।
कातन असली शाम सुंदरी, मुड़ तुड़ घालै तार।।
सासु मरज्यो ससुरो मरज्यो, वर जोड़ो मर जाए।
मत मरज्यो खाती रो बेटो, चरखो दियो बनाए।।
मत मरज्यो खाती रो बेटो, चरखो दियो बनाए।।
चरखा-२ सभी कहें रे, चरखा लखा ना जाए।
चरखा लख्या कबीर ने, लिया आवागमन मिटाय।।
चरखा लख्या कबीर ने, लिया आवागमन मिटाय।।