Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
चली जा रही है, उम्र धीरे धीरे।
ये पल पल आठों, पहर धीरे धीरे।।
बचपन भी बीता, जवानी भी जाए।
बुढ़ापे का होगा, असर धीरे धीरे।।
बुढ़ापे का होगा, असर धीरे धीरे।।
तेरे हाथ पांव में, बल ना रहेगा।
झुकेगी तुम्हारी कमर धीरे धीरे।।
झुकेगी तुम्हारी कमर धीरे धीरे।।
शिथिल अंग होंगे सब, इक दिन तुम्हारे।
तेरी मन्द होगी, नजर धीरे धीरे।।
तेरी मन्द होगी, नजर धीरे धीरे।।
बुराई से मन को तूँ अपने हटा लें,
मंजिल तक जाएगा, सफर धीरे धीरे।।
मंजिल तक जाएगा, सफर धीरे धीरे।।