Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
चल सद्गुरु के धाम हेली, तजदे सारे काम हे।
लेकर उनसे नाम करो तुम, भजन सुबह और शाम हे।।
नाम बिना कोय गांव न पावै, बिना नामकोय भेद न आवै
नाम बिना कैसे घर जावै, सबसे बड़ा है नाम हे।।
नाम बिना कोय खत न आवै, नाम बिना जग धक्के खावै
नाम बिना नुगरा कहलावै, भोगै कष्ट तमाम हे।।
नाम बिना क्लेश न जावै, नाम बिना नित काल सतावै।
चोरासी में रह भरमावै, भोगै चारूं खान हे।।
नाम ये खोजो तुम सद्गुरु का, भेद मिलेगा तुझको धुर का।
भूल भर्म का तार के बुरका, करो सुमरण आठों याम हे।।
गुरू ताराचंद हैं सद्गुरु पूरा, लियो नाम बेवक्त हजूरा।
कंवर इर्ष्या करके दूरा, उनको करो सलाम हे।।