Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
बिना गुरू ज्ञान नहीं जी, जी मुक्ति कैसे पाओगे।।
तेली के घर बनेगा बैलिया जी, आँख्यां पट्टी बन्धाओगे।
आठ पहर में घाणी उतरै-२, न्यार चरन ना पाओगे।।
बाजीगर घर बनेगा बांद्रा जी, गल में पटा बन्धाओगे
साबत दिन नाचन में जागा-२, घर घर अलख जगाओगे।।
रहबारी घर बनेगा उंटडा, बारह मन लदवाओगे।
बारह कोस पे दिन लिकडेगा -२, न्यार कहाँ से खाओगे।।
कुम्हरे के घर बनेगा गदहिया जी,ढाई मन लदवाओगे।
ढाई कोस तक मार पड़ेगी, जंगल में खुल जाओगे।।
कह कबीर सुनो भई साधो, करनी के फल पाओगे।।