Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
भाई तूँ श्याना कोन्या रे, गेर लिया तने टोटा।।
औरां ने तूँ पागल समझे, खुद बुद्धि का खोटा।
अपना हित तूँ राख्या चाहवे, आपा समझो खोटा।।
इस सौदे में आवे दिवाला, राजी होके ओटया।
कुछ तो आगे जमा करा दे, ना हो लिया कर्जा मोटा।।
ऐसा क्या अज्ञानी होग्या, बिल्कुल मूर्ख झोटा।
दबे पाप तेरे सारे उघडे, बाजे यम का सोंटा।।