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Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
बन्दे सद्गुरु सद्गुरु बोल, तेरा क्या लगे है मोल।
दस बीस कोस नहीं चलना, तेरे सिर पे बोझ नहीं रखना।
तेरे हाथ पैर नहीं हिलना, जरा दिल की घुन्डी खोल।।
ये दिल बहुरंगी घोड़ा, घोड़े के साथ बछेड़ा।
ये पांचों फिरें लुटेरा, भाई तूँ इनकी बाँह मरोड़।।
ये माया है जग ठगनी, ये बड़े बड़ों संग लगनी।
माया ने जग भरमाया, भाई रे तूँ इनका गैला छोड़।।
सुन साहिब कबीर समझावै, भूले को राह दिखावै।
गया वक़्त हाथ नहीं आवै, भाई रे तूँ मत चोरासी डोल।।