Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
बार बार तोहे ये समझाऊं,ओ मूर्ख इंसान।
दुनिया मे आकर मत करना अभिमान।
मनुष्य जन्म तुझे हरि भजन को मिल ही गया।
फिर क्यों बन्दे मोह माया में फंस गया।
करले नेक कमाई बन्दे हो जाए कल्याण।।
फिर क्यों बन्दे मोह माया में फंस गया।
करले नेक कमाई बन्दे हो जाए कल्याण।।
जवानी में तुं विषय भोग में खोया रहा।
काम क्रोध मद लोभ मोह में मोह्या रहा।
आगे का ना सोचा बन्दे, मिटेगी तेरी शान।।
काम क्रोध मद लोभ मोह में मोह्या रहा।
आगे का ना सोचा बन्दे, मिटेगी तेरी शान।।
गई जवानी आया बुढापा, तुं रोने लगा।
मल मूत्र ओर पड़ा खाट में सोने लगा।
अंत समय कोए काम न आवै,भाई बंध महमान।
जगमोहन ने सब कुछ खोकर पा ही लिया।
सतगुरु जी के चरणों मे वो, आ ही गया।
रामनाम तो नहीं छूटेगा, जब लग घट में प्राण।।
मल मूत्र ओर पड़ा खाट में सोने लगा।
अंत समय कोए काम न आवै,भाई बंध महमान।
जगमोहन ने सब कुछ खोकर पा ही लिया।
सतगुरु जी के चरणों मे वो, आ ही गया।
रामनाम तो नहीं छूटेगा, जब लग घट में प्राण।।