Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
अवधू भूले को घर लावै।
सो सतगुरु मोहे भावै।।
घर मे योग भोग ही घर मे, घर तज वन नहीं जावै।
वन के गए कल्पना उपजै, अवधू कहां समावै।।
घर में युक्ति मुक्ति घर ही में, जो गुरु अलख लखावै।
सहज सुन्न में रहे समाना, सहज समाधि लगावै।।