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Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
आसमान पे उड़ने वाले, धरती को पहचान।
किसी का रहा नहीं अभिमान।।
ये संसार सभी नश्वर है,फेर कैसा अभिमान।
छोड़के ये जग वे भी चल दिये, जो थे वीर बलवान।।
धन दौलत का मान बुरा है, कहते वेद पुराण।
अभिमानी रावण को देखो, मिट गया नाम निशान।।
तीर्थ मन्दिर मस्जिद ढूंढा, किया ना इतना ध्यान।
दिल मे वो भगवान बसा है, हो सके तो पहचान।।
सदा यहां नहीं रहना तुझको, रहना है दिन चार।
इंसा से नफरत क्यूं करता, तुं भी तो इन्सान।।
lअब भी समय है शरण में आजा,तजदे न अभिमान।
संसार छोड़ के जाना, तेरा डेरा हो शमशानं।।