Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
आशाओं का हुआ खात्मा, दिल की तमन्ना बनी रही।
जब परदेसी हुआ रवाना, सुंदर काया पड़ी रही।।
एक पंडित जी अपने घर में, पत्तरा देखा करते थे।
जन्म मरण की जन्म कुंडली, लेखा जोखा करते थे।
जब मरने का टाइम आया, पौथी उनकी धरी रही।।
जन्म मरण की जन्म कुंडली, लेखा जोखा करते थे।
जब मरने का टाइम आया, पौथी उनकी धरी रही।।
एक सेठ दुकान पे बैठे, घटा नफा सब जोड़ रहे।
किस से हमने कितने लेने, बही के पन्ने मोड़ रहे।
काल बली का लगा तमाचा, कलम कान पर धरी रही।।
एक डॉक्टर घर से अपने, करण दवा तैयार हुए।
दवा उठा के बैग में रखी, मोटर कार सवार हुए।
फिसली कार गिरी गड्ढे में, दवा बैग में धरी रही।।
वाह वाह रे क्या कहूँ भाई, ईश्वर की है यही गति।
जिसको जिसका यम है जाना, हर्ज़ न होगा एक रति।
जिसने प्रभु का नाम लिया है, उसकी कमाई खरी रही।।