Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर।।
तुम्हारे दर्श से पाप कटत हैं जी, निर्मल हॉट शरीर।।
अमृत भोजन हंसा पावै, शब्द धुनन की खीर।
जहां देखूं तहां पाट पटम्बर, ओढो न अम्बर चीर।
धर्मदास की हो दाता अर्ज गुसांई जी, हंसा लाओ तीर।।