Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
आज के युग में मानवता,इंसान छोड़ कर दूर हुए।
इसीलिये मन्दिर मस्जिद भगवान छोड़ कर दूर हुए।।
कर्म भी पैसा धर्म भी पैसा, और पैसा ईमान बना।
मोह माया में फंस गया इतना,अब पैसा भगवान बना।
माया के चक्कर मे, वेद पुराण छोड़ कर दूर हुए।।
झूठे जग में फंस गया इतना, हरि का नाम भुलाया है।
झूठे जग में डूब गया, मोह माया में भरमाया है।
मतलब की खातिर ये, धर्म ईमान छोड़कर दूर हुए।।
झूठे नाते बना लिए हैं, अब सेवा सत्कार नहीं।
मतलब की खैर अपना है, जग में सच्चा प्यार नहीं।
अब इंसान इंसानों की पहचान छोड़ कर दूर हुए।।