कबीर दास
तेरा जन्म मरण मिट जाए
तेरा जन्म मरण मिट जाए,हरि का नाम रटो प्यारे।
जग में आया नर तन पाया भाग बड़े भारे।
मौह भुलाना कदर न जाना,रीत रत्न डारे।।
बालपन में मन खेलन में,सुख दुख ना धारे।
जोबन रसिया सो मन बसिया,तन मन धन हारे।।
बूढ़ा होकर घर में सोकर,बोले वचन खारे।
दुर्बल काया रोग सताया, तृष्णा तँ जारे।।
बीती उमरा राम नहीं सुमरा,काल यहाँ मारे।
ब्रह्मानंद बिना जगदीश्वर,कोन विपत टारे।।