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कबीर भजन नाम लख दीजो – Kabir Das Naam lakha dijiyo || aakhirkyon ||

Kabir das poetry naam lakha dijiyo

कबीर भजन 
नाम लख दीजो

नाम लख दीजो थारे पायां लागूं भेद बता दीजो ।
जन्म-२ का सोया म्हारा मनवा जी,
शब्द मार जगा दीजो।
घट अंधियारा कुछ सूझत नाहीं जी,
ज्ञान का दीप जला दीजो।
विष की लहर उठे घट अंदर जी,
अमृत बून्द पिला दीजो।
गहरी नदिया नाव पुराणी जी,
खेय के पार लगा दीजो।
धर्मिदास की हो दाता अर्ज गोसाईं जी,
अब की बार निभा दीजो।
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