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जगत चला जाए यहाँ, कोय न रहना होय-Jagat Chla Jaaye Yaha, Koye Na Rhna Hoye Kabir Ke Shabd

Kabir ke shabd on mandir
Kabir Ke Shabd 

कबीर के शब्द

जगत चला जाए यहाँ, कोय न रहना होय।।
चले गए कुम्भकर्ण और रावण, चले गए राम लखन चारों भैया।
चले गए नन्द यशोमती मैया,  चले गए गोपी ग्वाल कन्हैया।।


उतपत्ति प्रलय चारों युग बीते,  कालबली से ना कोय बचैया।।
कह कबीर सुनो भई साधो, सत्त नाम एक होवै सहैया।।
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