Kabir Ke Shabd
इश्क करे तो कर हरि से ,लावे तो लौ लाया कर
पीवे ते पी प्रेम रस ,खावे ते गम खाया कर
तजै तो तज तृष्णा को,राखे तो राख शर्म नै
त्यागे तो कुकर्म को त्याग,मेटै तो तू मेट भरम नै
पढ़े तो पढ़ गीता को,सीखे तो योग कर्म नै
छोड़े तो तू पाप छोड़ दे,माने तो ले मान धर्म नै
करे तो जप तप दान यज्ञ,
अथितियों पर छाया कर
ठावे तो ठा दान तेग,डारे तो क्रोध डार दे
रोके तो ले काम रोक,मारे तो पांच मार दे
जीते तो ले मन को जीत,हारे तो दसों हार दे
दमन करे तो कर तेरह का,दो छः में मिला चार दे
आवे तो आ सत्मार्ग पर ,
जावे तो सत्संग जाया
धारे तो ले मौन धार ,बोले तो साच बोल तो
भागे तो विषयों से भाग तोले तो मत घाट तोल तू
बांधे तो पाखण्ड बाँध,खोले तो पोल खोल तू
तलाश कर तो क्या ईश्वर की क्यों वृथा रहा डोल तू
स्नान करें तो तीर्थ कर चार धाम भी नहाया कर