श्रद्धा और विश्वास का देश हिन्दुस्तान है?क्यों करते हैं इतना अधिक विश्वास?
क्योंकि श्रद्धा और विश्वास के बिना कोई कार्य परिपूर्ण नहीं हो सकता। जो व्यक्ति विश्वास करने योग्य न हो तो भी विश्वास करना पड़ता है। संसार के प्रत्येक कार्य में विश्वास की अति आवश्यकता होती है। मान लो आप पूजा करने के लिए मंदिर में जा रहे हैं यदि मंदिर की मूर्तियों के प्रति (जिन्हें हम देवी-देवता मानते हैं) श्रद्धा और विश्वास नहीं है तो आपका पूजा करने जाना व्यर्थ है
Is there a country of reverence and faith? Why do so much faith? |
मंदिर का निर्माण ही इसीलिए हुआ है कि लोगों के मन में ईश्वर के प्रति आस्था उत्पन्न हो। नास्तिक भी यदि एक बार मंदिर में प्रविष्टहो जाये तो उसका भी मन शांत हो जाता है लोगों की निष्ठा और भावना ही प्रधान होती है और उन्हें देखकर नास्तिक के मन में यह विचार अवश्य उत्पन्न होगा कि यह भगवान का घर है। एक-दूसरे पर विश्वास करने के पीछे हिन्दू लोगों का विचार यह होता है कि प्रत्येक प्राणी के अन्तः करण में ईश्वर का निवास होता है। वह प्राणी, वह मनुष्य चाहे सद्बुद्धि वाला पुण्यवान हो या पापी उदाहरण के लिए एक व्यवसायी के पास एक चोर आया और बोला – सेठ जी! मुझेअपने पास नौकरी पर रख लो।
व्यवसायी ने उसके चेहरे की देखा। उसे जानता भी था कि यह चोर है फिर भी मुस्कराकर बोला-ठीक है, तुम कल से नौकरी पर आ जाना। वह चोर उस दिनअपने घर चला गया और मन ही मन विचार करता जा रहा था किअब तो मेरी चाँदी कटेगी, जब भी मौका मिलेगा अपने पसंद की चीज चुरा लूँगा। भला इतने बड़े व्यापार में थोड़े बहुत कीं चोरी उसे कैसे मालूम होगी। लेकिन दूसरे दिन काम पर पहुंचते ही सेठ बोला-देखा भाई! देखने में तो तुम बहुत शरीफ लगते हो। हमारे यहाँ ईमानदारी को ही प्राथमिकता भी दोगे।
उस लड़के ने हाँ में सिरहिलाया। बस फिर क्या था? सेठ ने कहा-तुम मेरी गद्दी पर बैठकर काम काज संभालो मैं किसी जरूरी काम से बाहर जा रहा हूँ। यह सुनते ही वह लड़का मन ही मन बहुत खुश हुआ। सेठ के जाने के बाद उसने गल्ले (Cash) की तरफ हाथ बढ़ाया, उसी समय उसके मन में ईश्वर की प्रेरणा से विचार उभरा कि अगर मेरी ईमानदारी पर सेठ सब कुछ छोड़कर गया है तो मैं चोरी कैसे करूँ? यह होता है हृदय परिवर्तन। इसीलिए हिन्दू लोग आँखें बंद करके दूसरों पर विश्वास करते हैं।
आखिर क्यों ?