पुनर्जन्म वैज्ञानिक है या केवल अवधारणा है?’
विज्ञान के अनुसार कोई कोई भी पदार्थ कंभी नष्ट नहीं होता बल्कि वह किसी अन्य रूप में परिवर्त्ति हो जाता है। जैसे हरे-भरे कड़ों वर्ष बाद सूख जाते हैं। तब उनहें हम वृक्ष न कहकर “लकड़ी’ कहते हैं और वही लकड़ी जमीन के नीचे दबी रहती है
तो सौ पचास वर्ष बाद कोयले के रूप में हो जाती है, कोयला जलकर राख और धुएँ में बदल जाता है। राख उड़कर इधर-उधर चली जाती है किन्तु नष्ट नहीं होती। विज्ञान का यह तथ्य आत्मा के अमर होने का और पुनर्जन्म की पुष्टि करता है । |
आखिर क्यों?