वर्ण – व्यवस्था में शूद्रों को कहीं श्रेष्ठ पद प्राप्त हुआ या नहीं?
सर्वप्रथम तो यह बता देना उचित होगा कि वर्ण व्यवस्था केअन्तर्गत शूद्रो को उच्चपद का कहीं निषेध नहीं है। पूर्वकाल में शूद्रोंमें वाल्मीकि जी थे जो श्री राम जी के परम भक्त थे। श्री वाल्मीकिजी ने संस्कृत में. रामायण की रचना की जो आज भी वाल्मीकिआखिर क्यों ? / 14रामायण के नाम से देश भर में प्रसिद्ध है इन्हें ब्रह्मर्षि की उपाधिप्राप्त है। पुरुषोत्तम भगवान श्री. राम ने नीची जाति की कही जानेवाली शबरी भौलनी के जूठे बेर खाये। निषादराज को श्री राम जी नेगले लगाया। धन्ना जाट के हाथ से भगवान विष्णु ने बाजरे की रोटीछीनकर खायी।
In the Varna-system, did the Shudras get the best rank or not?
गणिका वेश्या का भगवान ने उद्धार किया। जब सृष्टिको रचने वाले भगवान जाति पाति का भेदभाव नहीं रखते तो हमआप क्यों करें यह भेद-भाव। वास्तव में अहिन्दुओं (जो हिन्दू नहींहै) ने वर्तुलसीदास जी ने लिखा है-कर्म प्रधान विश्व रचि राखा।।-व्यवस्था के अंतर्गत प्रचार किया जो कि तथ्यहीन है।वर्ण व्यवस्था मनुष्यों पर ही लागू होती है यापशु-पक्षियों पर भी?वर्ण व्यवस्था मनुष्यों पर ही नहीं बल्कि देवताओं, पशु पक्षियोंऔर पेड़-पौधों पर भी लागू होती है। तैत्तिरीय ब्राह्ण के एक मंत्र केअनुसार देवताओं में संनकादि ऋषि ब्राह्मण वर्ण के हैं इन्द्र. वरुण,सोम, कद्रादि देवता क्षत्रिय वर्ण के. गणेश और वसु आदि देवता वैश्यवर्ण के तथा पूषा आदि शूद्र कोटि के देवता है |