अनुकूलता-प्रतिकूलता में राग-द्वेष के कारण मनुष्य दुखी
उदयपुर आचार्य विजय सोम सुन्दर सुरीश्वर महाराज ने कहा कि दुख का सबसे बडा करण अनुकूलता में राग तथा प्रतिकूलता में द्वेष है अर्थात हमें अनुकूल बात अच्छी और प्रतिकूल बात बुरी लगती है। इस अवसर पर हितरति महाराज ने बताया कि महावीर स्वामी द्वारा बताये हुए सम्यक चारित्र करने वाले जीव मात्र मोक्ष प्रापित के अधिकारी है।
वे हिरणमगरी सेक्टर 4 स्थित आराधना भवन में श्रावकों को संबोधित कर रहे थे। हमें जेल जाने से डर लगता है और उससे बचने के लिए हमें यथोचित उपाय भी करते हे लेकिन हमें नर्क जानें से डर नहीं लगता है क्योंकि वह अप्रत्यक्ष है। अतः हमें मोक्ष प्राप्ति के लिए यथासंभव उपाय करने चाहिये।