Kabir Ke Shabd
हम सत्य नहीं व्यापारी साधो, गुरु नाम व्यापारी।
कोए कोए लादे कांसी पीतल, कोय कोय लोंग सुपारी।
हम तो लादें नाम धनी को, पूरी खेप हमारी।।
पूंजी न टूटे नफा चौगुना, बनज कियो हम भारी।
हाट जगत की रोक सके ना, निर्भय गैल हमारी।।
मोती बूंद घट ही में उपजे, सूझत भरे भंडारी।
नाम पदार्थ लाद चलो हे, धर्मदास व्यापारी।।