इंद्रिया को वश में कैसे करे
तस्मात्त्वमिन्द्रियाण्यादौ नियम्य भरतर्षभ ।
पाप्मानं प्रजहि ह्येनं ज्ञानविज्ञाननाशनम् ।। 3/41
अर्थ: अतः हे अर्जुन! तुम पहले इंद्रियों को वश में करके फिर ज्ञान-विज्ञान का नाश करने वाले इस महान पापी काम को अवश्य ही मार डालो
हमारी
5 ज्ञानेन्द्रियां (आंख, नाक, कान, जिह्वा और त्वचा),
5 कर्मेन्द्रियां (हाथ, पैर, मुख, गुदा और मूत्र त्याग स्थान) और
एक मन सहित 11 इन्द्रियां होती हैं।
काम की पूर्ति भी हम इन्हीं इन्द्रियों द्वारा करते हैं। काम को वश में करने के लिए इन्द्रियों को काबू में करना ज़रूरी होता है। इन्द्रियों को काबू में करने से केवल काम ही नहीं, बल्कि अन्य विकार भी अपने आप कम होते चले जाते हैं।
उदाहरण के लिए, जीभ के 2 कार्य हैं- बोलना और स्वाद। गलतबोलने से मन में द्वेष और गलत खाने से तन में बीमारी होती है।
इन्द्रियों पर विजय पाने के लिए इसका निरंतर अभ्यास किया जाता है। काम को वश करने के लिए अभ्यास के साथ-साथ काम के विचारों में न रहो, काम का चिंतन न करो और ऐसा संग न करो, जिससे काम बढ़े।
फिर जब काम जागे, उस समय विवेक के साथ इन्द्रियों को वश में करो, तब तुम जान पाओगे कि अब इन्द्रियां अपने विषयों की ओर जाने के लिए पहले जितना जोर नहीं मार रही है।