क्या सनातन हिन्दू धर्म में अहिन्दुओं (जो हिन्दू नहीं हैं) के कल्याण की बात सोची गई है?
Has the idea of the welfare of non-Hindus (who are not Hindus) been considered in Sanatan Hinduism? |
हमारे पबित्र भारत देश में जितने ऋषि-महर्षि, ज्ञानी. महात्माजन हुए उन सभी ने सारे संसार के प्राणियों को अपना कुटुम्ब (परिवार) मानकर ही ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का उद्घोष किया। सभी के विषय में मनीषियों ने कहा है कि संसार के सभी प्राणी सुखी हों, शांत और विनम्र हों।