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हरि इच्छा बलवान – हिंदी कहानी बुक

हरि इच्छा बलवान

होई है वही जो राम रचि राखा। एक बार एक राजा अपने शत्रुओं से पराजित होकर भाग गया। उस राजा की रानी अपने पुत्र को जिसके हाथ में छः उगलियाँ थी, साथ लेकर राज्य के मंत्री के पास चली गई जो उनका बहुत ही विश्वास पात्र था। कुछ दिनों पएचात्‌ रानी स्वर्ग सिधार गई ।

एक दिन एक ज्योतिषाचार्य मंत्री जी के घर आया। मंत्री ने उनसे अपनी पुत्री के विषय में पूछा कि इसका विवाह कैसी जगह होगा? । ज्योतिषाचार्य जी ने बताया कि इसका विवाह रानी के इस बेटे के साथ होगा। मंत्री ने राजकुमार को अनाथ समझकर उसे अपनी पुत्री को देना ठीक नहीं समझा तथा लड़के को जल्लादों के साथ जंगल में भेज दिया। जल्लादों ने राजकुमार से कहा अब तुम अपने प्राण देने को तैयार हो जाओ।
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 राजकुमार ने भगवान की प्रार्थना की । भगवान की कृपा  से जल्लादों के हृदय दया से भरपूर हो गये और उसकी छटी उंगली काट कर ले गये। राजकुमार वन में एक ऋषि के पास रहकर अध्ययन | करने लगा और एक बड़ा विद्वान बन गया। एक राजा उसी बन में शिकार खेलने आया और लौटकर जब जाने लगा तो मार्ग में कुछ देर के लिए ऋषि के आश्रम में विश्राम करने लगा और उस लड़के से खुश हो गया।
 राजा ऋषि से पूछकर लड़के को अपने साथ ले गया। राजा के कोई संतान  न होने के कारण उसे राजा बनाना चाहता था। वह राज्य उस राजा को जिसके मंत्री ने उस लड़के को मारने का षड़यन्त्र रचा था, राज्य वापिस कर देना  चाहता था। राज्याभिषेक की तैयारियों के कारण वह ठीक समय पर वहा  न पहुँच सका फलत:वह मंत्री चढ़ाई करके आ गया। राजा  ने उसे लड़के का भी परिचय कराया।
मंत्री ने उसे पहचान लिया। मंत्री बोला बिना राजा की आज्ञा के आप किसी को अपना राज्य नहीं दे सकते, परनु मैं यहाँ से अपने पुत्र को एक पत्र लिखे देता हूँ, वह इन्हीं को राजा बनने की आज्ञा राजा से दिलवा देगा। | राजा को मंत्री की बात पर विश्वास हो गया। उसने राजकुमार को आज्ञा लेने हेतु भेज दिया।
 मंत्री ने एक पत्र अपने पुत्र को लिखा और उसमें लिख  दिया कि इस राजकुमार को भोजन में विष मिलाकर खाने के लिए दे दिया जाये। जब वह वहाँ पहुँचा तो थकान हो जाने के कारण मंत्री के बगीचे में जाकर सो गया। । मंत्री की पुत्री अपने कोठे पर से यह सब देख रही थी। वह उस पर मोहित हो गई । अचानक उसकी दृष्टि जेब में रखे हुए पत्र पर पड़ी । वह चुपके से नीचे उतरकर आई और पत्र को पढ़कर विष की जगह विवाह लिख दिया।
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जब लड़का सोकर उठा तो उस पत्र को मंत्री के पुत्र को दे दिया। मंत्री के पुत्र ने पत्र को पढ़कर उन दोनों का विवाह बड़ी धूमधाम से कर दिया। मंत्री को जब समाचार ज्ञात हुआ तो वह बड़े आश्चर्य में  पड़ गया परन्तु फिर भी उसने उसे मार डालने का षड़यंत्र रचा। उसने देवी के मंदिर के पुजारी को आज्ञा दी कि कल जो भी मंदिर में सर्वप्रथम प्रवेश करे उसे फौरन बली का बकरा बना दिया जाये।
इधर मंत्री ने जमाई राजा से कह दिया कि वंश की प्रथानुसार कल प्रात: काल आप देवी के दर्शन करने अवश्य पहुंचे। | परन्तु दैवात, सुबह ही सुबह राजा का एक नौकर आकर उसे राजा के पास बुलाने के लिए गया। उधर मंत्री का बेटा प्रतिदिन की भाँति सुबह ही सुबह दुर्गा । देवी के दर्शनों को गया। अतः पुजारियों ने उसका वध कर दिया।
अब मंत्री ने मजबूर होकर राजा से कहा कि राजकुमार को राज्य का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया जाये। राजा ने उसे दोनों राज्यों का राजा धोषित कर दिया और स्वयं भी आनन्दपूर्वक रहने लगा। किसी ने सत्य कहा है हरि इच्छा बड़ी बलवान है।
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