हंसा निकल गया पिंजरे से,खाली पड़ी रही तस्वीर
यम के दूत लेंन ने आवे तनक धरें ना धीर।
मार-2 के प्राण काढ़ लें,बहे नैन से नीर
बहुत मनाये देवी देवता बहुत मनाये पीर।
बहुत मनाये देवी देवता बहुत मनाये पीर।
अंत समय कोई काम न आवै जाना पड़े अखिर
कोई रोवे कोई तने न्हुआवे, कोई उड़ावे चीर।
कोई रोवे कोई तने न्हुआवे, कोई उड़ावे चीर।
चार जने रल मता उपाय,ले गए मरघट तीर
मार मुल्क की कोई ना माने,संग ना चले शरीर
जा मरघट में फूंक दिओ न्यू कह गए दास कबीर।
मार मुल्क की कोई ना माने,संग ना चले शरीर
जा मरघट में फूंक दिओ न्यू कह गए दास कबीर।