Kabir ke Shabd
हम हैं सत्य नाम व्यापारी, प्रेम नगर म्हारो गाम।
कोय लेलो रे, लेलो हरि का नाम।।
प्रेम नगर से हम चल आए, सौदा सत्तनाम का लाए।
सत्तनाम है सार जगत में, कोड़ी लगे न दाम।।
बाट तराजू कुछ ना भाई,तोल मौल में एबी नाहीं।
हम तो सौदा सत्त का लाकै, ना तोलन का काम।।
तूँ पाँचा से प्रीति न कीजे, निर्भय नाम गुरु का लीजे।
सुगरां हो तो भर भर पीवै, ना निगराँ का काम।।
सत्त नाम का भरा खजाना, पावैगो कोय चतुर सुजाना।
कह रविदास ये रटना हमारी, निशदिन आठों याम।।