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आदती रिश्वत – Hindi kahani

आदती रिश्वत

एक राजा को पता चला कि कायस्थ लोग सबसे अधिक रिश्वतखोर  होते हैं। राजा ने सोचा कि देखना चाहिए कि ये कैसे रिश्वत लेते हैं। राजा ने एक कायस्थ को घोड़ों की देख भाल हेतु नौकरी पर रख लिया। दूसरे दिन राजा के मुंशी ने घोड़ों की लीद सूंघना शुरू कर दिया। साईसों ने कहा मुंशी जी आप यह क्‍या कर रहे हैं

मुंशी ने बताया मैं यह देख रहा हूँ कि घोड़ों को कितना दाना और कितनी घास खाने को दी गई है। बेचारे साईसों ने डर के मारे चुपके से उन्हें रिश्वत देना प्रारम्भ कर दिया। एक दिन राजा ने उन कायस्थ मुंशी से पूछा कहिये अब तो आप को रिश्वत नहीं मिलती होगी। मुंशी ने उत्तर दिया कि श्री मान जी अब तक कुल पांच हजार रुपये रिश्वत के रूप में एकत्रित कर सका हूँ।

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राजा ने आश्चर्य से पुछा-कैसे? उसने समस्त किस्सा  राजा के सामने वर्णन  कर दिया। राजा ने अब सोचा इसे ऐसे  काम पर लगाया जाना चाहिए जिसमें कि रिश्वत का नाम ही न हो। राजा ने कहा कि तुम समुद्र के किनारे बैठ कर  समुद्र की लहरें गिना करो। मुंशी जी समुद्र के किनारे बैठ गये। जो भी जहाज समुद्र पर उतरता था उसे रोक देते थे

कि हमारी लहरें बिगड़ जायेंगी। जल्दी के कारण वे मुंशी को रिश्वत दे जाते थे। जब राजा फिर मुंशी से मिले तो मुंशी जी ने कहा सरकार! यहाँ पर अच्छी रिश्वत मिल जाती है। एक सप्ताह में ही दो  हजार रुपये रिश्वत के मिल गये हैं। राजा समझ गया कि इनकी तो आदत ही बिगड़ चुकी है।
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