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Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
गुरुआं ने बीन बजाई, साधो मेरा मन पकड़ा।
मैं बहु रँगन नागिन पकड़ी जी,
जिसका डसा मर जाइ।।
पकड़ बांध पिटारे में डारा जी,
दिया कुमति जहर सुतवाई।।
धोइ दातरी सब तुड़वाई जी,
दिया कुमति जहर सुतवाई।।
दिया कुमति जहर सुतवाई।।
घीसा सन्त सपेरा मिल गया जी,
जीता को गारडु सिखाई।।
जीता को गारडु सिखाई।।