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Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
गुरु भजा सोई जीता रे जग में, नाम भजा सोई जीता रे।।
हाथ सुमरनी रे पेट कतरनी, पढ़े भागवत गीता जी।
हृदय शुद्ध किया नहीं बावले, कहन सुनन दिन बीत जी।।
अन्न देव की रे पूजा किन्हीं, हरि से हुआ नचिता जी।
धन जोबन तेरा यहीं रह जाएगा, अंत समय चला रीता जी।।
धन जोबन तेरा यहीं रह जाएगा, अंत समय चला रीता जी।।
भाँवरियाँ ने रे भाँवर डारी, फन्द जाल सब कीता जी।
कह कबीर काल खा जाएगा, जैसे मृग को चीता जी।।
कह कबीर काल खा जाएगा, जैसे मृग को चीता जी।।