महान पुरषो के विचार |
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(पुरालेख) |
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सारा जगत स्वतंत्रता के लिए लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है। |
श्री अरविंद |
सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है। एक ज़ुल्मों के खिलाफ़ और दूसरी स्वयं की दुर्बलता के विरुद्ध। |
सरदार पटेल |
कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढ़ाती है। |
सावरकर |
तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरे सारे सुख तो अज्ञान मात्र हैं। |
वाल्मीकि |
संयम संस्कृति का मूल है। विलासिता निर्बलता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो संस्कृति का उद्भव होता है और न विकास। |
काका कालेलकर |
जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है। |
सत्यार्थप्रकाश |
जिस तरह एक दीपक पूरे घर का अंधेरा दूर कर देता है उसी तरह एक योग्य पुत्र सारे कुल का दरिद्र दूर कर देता है |
कहावत |
सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही महान फल देता है। |
कथा सरित्सागर |
चाहे गुरु पर हो या ईश्वर पर, श्रद्धा अवश्य रखनी चाहिए। क्यों कि बिना श्रद्धा के सब बातें व्यर्थ होती हैं। |
समर्थ रामदास |
यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाए तो वह ख़तरनाक भी हो सकती है। |
इंदिरा गांधी |
प्रजा के सुख में ही राजा का सुख और प्रजाओं के हित में ही राजा को अपना हित समझना चाहिए। आत्मप्रियता में राजा का हित नहीं है, प्रजाओं की प्रियता में ही राजा का हित है। |
चाणक्य |
द्वेष बुद्धि को हम द्वेष से नहीं मिटा सकते, प्रेम की शक्ति ही उसे मिटा सकती है। |
विनोबा |
साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है परंतु एक नया वातावरण देना भी है। |
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन |
लोकतंत्र के पौधे का, चाहे वह किसी भी किस्म का क्यों न हो तानाशाही में पनपना संदेहास्पद है। |
जयप्रकाश नारायण |
बाधाएँ व्यक्ति की परीक्षा होती हैं। उनसे उत्साह बढ़ना चाहिए, मंद नहीं पड़ना चाहिए। |
यशपाल |
सहिष्णुता और समझदारी संसदीय लोकतंत्र के लिए उतने ही आवश्यक है जितने संतुलन और मर्यादित चेतना। |
डॉ. शंकर दयाल शर्मा |
जिस प्रकार रात्रि का अंधकार केवल सूर्य दूर कर सकता है, उसी प्रकार मनुष्य की विपत्ति को केवल ज्ञान दूर कर सकता है। |
नारदभक्ति |
धर्म करते हुए मर जाना अच्छा है पर पाप करते हुए विजय प्राप्त करना अच्छा नहीं। |
महाभारत |
दंड द्वारा प्रजा की रक्षा करनी चाहिए लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिए। |
रामायण |
शाश्वत शांति की प्राप्ति के लिए शांति की इच्छा नहीं बल्कि आवश्यक है इच्छाओं की शांति। |
स्वामी ज्ञानानंद |
धर्म का अर्थ तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना है। धर्म एक संयोजक तत्व है। धर्म लोगों को जोड़ता है। |
डॉ. शंकरदयाल शर्मा |
त्योहार साल की गति के पड़ाव हैं, जहाँ भिन्नभिन्न मनोरंजन हैं, भिन्नभिन्न आनंद हैं, भिन्नभिन्न क्रीडास्थल हैं। |
बरुआ |
दुखियारों को हमदर्दी के आँसू भी कम प्यारे नहीं होते। |
प्रेमचंद |
अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है। |
जयशंकर प्रसाद |
अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींचसींच कर महाप्राण शक्तियाँ बनाते हैं। |
महर्षि अरविंद |
जंज़ीरें, जंज़ीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से तुम्हें गुलाम बनाती हैं। |
स्वामी रामतीर्थ |
जैसे अंधे के लिए जगत अंधकारमय है और आँखों वाले के लिए प्रकाशमय है वैसे ही अज्ञानी के लिए जगत दुखदायक है और ज्ञानी के लिए आनंदमय। |
संपूर्णानंद |
नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के आभूषण होते हैं। शेष सब नाममात्र के भूषण हैं। |
संत तिरुवल्लुर |
वही उन्नति करता है जो स्वयं अपने को उपदेश देता है। |
स्वामी रामतीर्थ |
अपने विषय में कुछ कहना प्राय: बहुत कठिन हो जाता है क्यों कि अपने दोष देखना आपको अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को। |
महादेवी वर्मा |
करुणा में शीतल अग्नि होती है जो क्रूर से क्रूर व्यक्ति का हृदय भी आर्द्र कर देती है। |
सुदर्शन |
हताश न होना ही सफलता का मूल है और यही परम सुख है। |
वाल्मीकि |
मित्रों का उपहास करना उनके पावन प्रेम को खंडित करना है। |
राम प्रताप त्रिपाठी |
नेकी से विमुख हो जाना और बदी करना नि:संदेह बुरा है, मगर सामने हँस कर बोलना और पीछे चुगलखोरी करना उससे भी बुरा है। |
संत तिरुवल्लुवर |
जय उसी की होती है जो अपने को संकट में डालकर कार्य संपन्न करते हैं। जय कायरों की कभी नहीं होती। |
जवाहरलाल नेहरू |
कवि और चित्रकार में भेद है। कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है। |
डॉ. रामकुमार वर्मा |
जीवन का महत्व तभी है जब वह किसी महान ध्येय के लिए समर्पित हो। यह समर्पण ज्ञान और न्याययुक्त हो। |
इंदिरा गांधी |
तलवार ही सब कुछ है, उसके बिना न मनुष्य अपनी रक्षा कर सकता है और न निर्बल की। |
गुरु गोविंद सिंह |
मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से लोभ को दान से और झूठ को सत्य से जीत सकता है। |
गौतम बुद्ध |
स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है! |
लोकमान्य तिलक |
सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकांत साधना में होता है। |
अनंत गोपाल शेवडे |
कुटिल लोगों के प्रति सरल व्यवहार अच्छी नीति नहीं। |
श्री हर्ष |
अनुभव, ज्ञान उन्मेष और वयस् मनुष्य के विचारों को बदलते हैं। |
हरिऔध |
जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है वही सबसे बड़ा विजयी हैं। |
गौतम बुद्ध |
अधिक अनुभव, अधिक सहनशीलता और अधिक अध्ययन यही विद्वत्ता के तीन महास्तंभ हैं। |
अज्ञात |
जो दीपक को अपने पीछे रखते हैं वे अपने मार्ग में अपनी ही छाया डालते हैं। |
रवींद्र |
जहाँ प्रकाश रहता है वहाँ अंधकार कभी नहीं रह सकता। |
माघ्र |
मनुष्य का जीवन एक महानदी की भाँति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह बना लेती है। |
रवींद्रनाथ ठाकुर |
प्रत्येक बालक यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है। |
रवींद्रनाथ ठाकुर |
कविता का बाना पहन कर सत्य और भी चमक उठता है। |
अज्ञात |
हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है। |
वाल्मीकि |
अनुराग, यौवन, रूप या धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता है। |
प्रेमचंद |
जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत रखना चाहिए। |
वेदव्यास |
फल के आने से वृक्ष झुक जाते हैं, वर्षा के समय बादल झुक जाते हैं, संपत्ति के समय सज्जन भी नम्र होते हैं। परोपकारियों का स्वभाव ही ऐसा है। |
तुलसीदास |
प्रकृति, समय और धैर्य ये तीन हर दर्द की दवा हैं। |
अज्ञात |
कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। जो साहस के साथ उनका सामना करते हैं, वे विजयी होते हैं। |
लोकमान्य तिलक |
कविता गाकर रिझाने के लिए नहीं समझ कर खो जाने के लिए है। |
रामधारी सिंह दिनकर |
विद्वत्ता अच्छे दिनों में आभूषण, विपत्ति में सहायक और बुढ़ापे में संचित धन है। |
हितोपदेश |
ख़ातिरदारी जैसी चीज़ में मिठास ज़रूर है, पर उसका ढकोसला करने में न तो मिठास है और न स्वाद। |
शरतचंद्र |
पुष्प की सुगंध वायु के विपरीत कभी नहीं जाती लेकिन मानव के सदगुण की महक सब ओर फैल जाती है। |
गौतम बुद्ध |
कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी। |
रवींद्रनाथ ठाकुर |
रंग में वह जादू है जो रंगने वाले, भीगने वाले और देखने वाले तीनों के मन को विभोर कर देता है। |
मुक्ता |
जो भारी कोलाहल में भी संगीत को सुन सकता है, वह महान उपलब्धि को प्राप्त करता है। |
डॉ. विक्रम साराभाई |
मनुष्य जितना ज्ञान में घुल गया हो उतना ही कर्म के रंग में रंग जाता है। |
विनोबा |
लगन और योग्यता एक साथ मिलें तो निश्चय ही एक अद्वितीय रचना का जन्म होता है। |
मुक्ता |
बिना कारण कलह कर बैठना मूर्ख का लक्षण हैं। इसलिए बुद्धिमत्ता इसी में है कि अपनी हानि सह ले लेकिन विवाद न करें। |
हितोपदेश |
मुस्कान पाने वाला मालामाल हो जाता है पर देने वाला दरिद्र नहीं होता। |
अज्ञात |
आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है और उद्यम सबसे बड़ा मित्र, जिसके साथ रहने वाला कभी दुखी नहीं होता। |
भर्तृहरि |
क्रोध ऐसी आँधी है जो विवेक को नष्ट कर देती है। |
अज्ञात |
चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास रखता है। |
रवींद्र |
आपत्तियाँ मनुष्यता की कसौटी हैं। इन पर खरा उतरे बिना कोई भी व्यक्ति सफल नहीं हो सकता। |
पं. रामप्रताप त्रिपाठी |
मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह नहीं होता और जागते रहने से भय नहीं होता। |
चाणक्य |
जल में मीन का मौन है, पृथ्वी पर पशुओं का कोलाहल और आकाश में पंछियों का संगीत पर मनुष्य में जल का मौन पृथ्वी का कोलाहल और आकाश का संगीत सबकुछ है। |
रवींद्रनाथ ठाकुर |
कविता वह सुरंग है जिसमें से गुज़र कर मनुष्य एक विश्व को छोड़ कर दूसरे विश्व में प्रवेश करता है। |
रामधारी सिंह दिनकर |
चरित्रहीन शिक्षा, मानवता विहीन विज्ञान और नैतिकता विहीन व्यापार ख़तरनाक होते हैं। |
सत्यसाई बाबा |
भाग्य के भरोसे बैठे रहने पर भाग्य सोया रहता है पर हिम्मत बाँध कर खड़े होने पर भाग्य भी उठ खड़ा होता है। |
अज्ञात |
ग़रीबों के समान विनम्र अमीर और अमीरों के समान उदार ग़रीब ईश्वर के प्रिय पात्र होते हैं। |
सादी |
जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिंब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का प्रतिबिंब नहीं पड़ सकता। |
रामकृष्ण परमहंस |
मिलने पर मित्र का आदर करो, पीठ पीछे प्रशंसा करो और आवश्यकता के समय उसकी मदद करो। |
अज्ञात |
जैसे छोटासा तिनका हवा का रुख बताता है वैसे ही मामूली घटनाएँ मनुष्य के हृदय की वृत्ति को बताती हैं। |
महात्मा गांधी |
साँप के दाँत में विष रहता है, मक्खी के सिर में और बिच्छू की पूँछ में किंतु दुर्जन के पूरे शरीर में विष रहता है। |
कबीर |
देशप्रेम के दो शब्दों के सामंजस्य में वशीकरण मंत्र है, जादू का सम्मिश्रण है। यह वह कसौटी है जिसपर देश भक्तों की परख होती है। |
बलभद्र प्रसाद गुप्त ‘रसिक‘ |
सर्वसाधारण जनता की उपेक्षा एक बड़ा राष्ट्रीय अपराध है। |
स्वामी विवेकानंद |
दरिद्र व्यक्ति कुछ वस्तुएँ चाहता है, विलासी बहुतसी और लालची सभी वस्तुएँ चाहता है। |
अज्ञात |
भय से ही दुःख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयाँ उत्पन्न होती हैं। |
विवेकानंद |
निराशा के समान दूसरा पाप नहीं। आशा सर्वोत्कृष्ट प्रकाश है तो निराशा घोर अंधकार है। |
रश्मिमाला |
विश्वास हृदय की वह कलम है जो स्वर्गीय वस्तुओं को चित्रित करती है। |
अज्ञात |
नाव जल में रहे लेकिन जल नाव में नहीं रहना चाहिए, इसी प्रकार साधक जग में रहे लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिए। |
रामकृष्ण परमहंस |
जिस राष्ट्र में चरित्रशीलता नहीं है उसमें कोई योजना काम नहीं कर सकती। |
विनोबा |
उदार मन वाले विभिन्न धर्मों में सत्य देखते हैं। संकीर्ण मन वाले केवल अंतर देखते हैं। |
चीनी कहावत |
वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे। |
अज्ञात |
जीवन की जड़ संयम की भूमि में जितनी गहरी जमती है और सदाचार का जितना जल दिया जाता है उतना ही जीवन हरा भरा होता है और उसमें ज्ञान का मधुर फल लगता है। |
दीनानाथ दिनेश |
जहाँ मूर्ख नहीं पूजे जाते, जहाँ अन्न की सुरक्षा की जाती है और जहाँ परिवार में कलह नहीं होती, वहाँ लक्ष्मी निवास करती है। |
अथर्ववेद |
उड़ने की अपेक्षा जब हम झुकते हैं तब विवेक के अधिक निकट होते हैं। |
अज्ञात |
जीवन में कोई चीज़ इतनी हानिकारक और ख़तरनाक नहीं जितना डाँवाँडोल स्थिति में रहना। |
सुभाषचंद्र बोस |
विवेक जीवन का नमक है और कल्पना उसकी मिठास। एक जीवन को सुरक्षित रखता है और दूसरा उसे मधुर बनाता है। |
अज्ञात |
आपका कोई भी काम महत्वहीन हो सकता है पर महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें। |
महात्मा गांधी |
पाषाण के भीतर भी मधुर स्रोत होते हैं, उसमें मदिरा नहीं शीतल जल की धारा बहती है। |
जयशंकर प्रसाद |
आँख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता। |
चाणक्य |
एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी दुखी होता है। |
अज्ञात |
किताबें ऐसी शिक्षक हैं जो बिना कष्ट दिए, बिना आलोचना किए और बिना परीक्षा लिए हमें शिक्षा देती हैं। |
अज्ञात |
ऐसे देश को छोड़ देना चाहिए जहाँ न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न ही ज्ञान की आशा। |
विनोबा |
विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है और गाने लगता है। |
रवींद्रनाथ ठाकुर |
कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सदव्यवहार से होती है, हेकड़ी और रुआब दिखाने से नहीं। |
प्रेमचंद |
अनुभव की पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों और विश्वविद्यालयों में नहीं मिलते। |
अज्ञात |
जिस प्रकार थोड़ीसी वायु से आग भड़क उठती है, उसी प्रकार थोड़ीसी मेहनत से किस्मत चमक उठती है। |
अज्ञात |
अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है, कायरों की नहीं। |
जवाहरलाल नेहरू |
सच्चाई से जिसका मन भरा है, वह विद्वान न होने पर भी बहुत देश सेवा कर सकता है। |
पं. मोतीलाल नेहरू |
स्वतंत्र वही हो सकता है जो अपना काम अपने आप कर लेता है। |
विनोबा |
जिस तरह रंग सादगी को निखार देते हैं उसी तरह सादगी भी रंगों को निखार देती है। सहयोग सफलता का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। |
मुक्ता |
दुख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है। |
डॉ. रामकुमार वर्मा |
डूबते को तारना ही अच्छे इंसान का कर्तव्य होता है। |
अज्ञात |
सबसे अधिक ज्ञानी वही है जो अपनी कमियों को समझकर उनका सुधार कर सकता हो। |
अज्ञात |
अनुभवप्राप्ति के लिए काफ़ी मूल्य चुकाना पड़ सकता है पर उससे जो शिक्षा मिलती है वह और कहीं नहीं मिलती। |
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