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ईश्वर सबका रक्षक है

ईश्वर सबका रक्षक है 

जाको राखे साइयाँ मार सकै नहिं कोय।
बाल न बाँका कर सकै जो जग बैरी होय॥

एक बार एक पंडितजी एक राजा के दरबार में गये। राजा ने उन्हें पंडित जानकर उनका सम्मान किया तथा उन्हें अपने यहाँ दरबार में रख लिया। उनके भोलेपन के कारण राजा उनका बड़ा आदर सम्मान करता था। दरबार के कुछ लोग पंडितजी पर हंँसने लगे। उन्होंने पंडितजी से कहा- ” राजा के मुकुट को जो ब्राह्मण दरबार में उतार लेता है, उस पर राजा बड़े प्रसन्न होते हैं।!” यह सुनकर पंडितजी ने दरबार में राजा का मुकुट उतार लिया। दुष्ट दरबारी बड़े प्रसन्न होने लगे।
परन्तु भाग्यवश उस दिन राजा के मुकुट में एक सांप विराजमान था। राजा ने जब मुकुट की ओर देखा तो सर्प को देखकर राजा बड़े आश्चर्य में पड़ गये तथा पंडितजी का बड़ा अहसान मानने लगे कि इन्होंने मेरे प्राणों की रक्षा की कुछ दिन बाद उन दुष्ट दरबारियों ने पंडित जी से कहा- “अब आप एकान्त में राजा को ले जाकर उनके सिर पर हाथ फेरना।

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पंडितजी ने एक दिन राजा को महल से बुलवाकर बगीचे में ले जाकर वैसे ही किया जैसा दुष्ट दरबारियों ने उनसे कहा था। इसी बीच राजा के कमरे की छत नीचे गिर पड़ी। राजा बड़ा प्रसन्न हुआ तथा दुष्ट दरबारियों को मुंह की खानी पड़ी।

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