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भ्रम का भूत

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भ्रम का भूत

किसी एक माँ ने अपने बच्चे के मन में यह बात बैठा दी कि उस घर में एक भयानक भूत का निवास है। शाम को छ बजे बच्चे का पिता आया तो उसने बच्चे से कहा – उस घर में से पंखा ले आओ। बच्चा बोला – न, न मैं उस घर में नहीं जा सकता  क्योंकि वहाँ पर एक भूत रहता है।

पिता समझ गया कि किसी ने बालक के हृदय में भूत का भय बैठा दिया है। इसे  दूर करना चाहिए।  उसने नौकर को समझाया कि तू उस घर में जाकर छिप जा और एक पुतला भी लाकर रख दे। उसके बाद  उसने बच्चे को बुलाकर कहा – तुम मेरे साथ चलो।
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तुम अपने हाथ में एक सोटा पकड़ लो और भूत को मारकर भगा देना। पिता के साथ होने से बच्चे में हिम्मत आ गई। अब दोनों साथ-साथ उस घर में गये। पिता ने कहा – देखो, जो यह लम्बा सा लेटा है, यही भूत है? ये इसके पैर हैं और ये उसके कान हैं? बच्चे ने कहा – हाँ पिताश्री! मैं जैसा कहता था यह वैसा ही है। पिताश्री ने बच्चे से कहा–तुम तो बहुत बलवान हो।
तुम्हारी तरह किसी ने दूध, घी का सेवन नहीं किया है। अभी कुछ दिन पहले तुमने उस छोकरे को पछाड़ दिया था ।इसलिए अब आगे बढ़ और इस भूत को भी मार डाल। अब बच्चा उछल-उछल कर उस भूत बने पुतले पर सोटा बरसाने लगा और नौकर चिल्लाने लगा। क्षण भर पश्चात्‌ पिताश्री ने कहा–बेटा! अब रुक, भूत मर गया है। यह सुनकर बच्चे को बड़ी प्रसन्नता हुई और हमेशा के लिए निडर हो गया।
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