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Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
गरज बिना कोई नहीं रे प्यारा, मतलब के—।
जितनै बैल चले हलिये में, इतनै डालें चारा।
बुड्ढा होजा नाथ काढलें, घर घर लाठी खा रहा।।
मात पिता इतनै अच्छे लागैं, धंधा पीटें सारा।
बुड्ढे होजा पौरुष थक जां, बेटा दे दुदकारा।।
सास ससुर ने बहु दुदकारे, बोलै वचन करारा।
कुत्ते तहावन का सुख कोन्या, छाती फूँकन हारा।।
धर्मिदास शरण सतगुरू की, मानो वचन हमारा।
कह कबीर तुम सत्त ने भजलो, हो जागा निस्तारा।।