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सच्चे मित्र की परख – friendship story

सच्चे मित्र की परख

एक साहूकार ने अपने बेटे से पूछा क्या तुम्हारा कोई सच्चा मित्र भी है  बेटे ने बताया मेंरे सभी सच्चे मित्र हैं। उसने अपने सभी मित्रों के नाम बता दिये। रात्रि में एक बजे पिता ने अपने बेटे को जगाया और अपने साथ चलने को कहा।बेटे को साथ लेकर वह उसके मित्र के घर गया और बेटे से कहा तुम अपने मित्र को आवाज दो।

बेटे ने बहुत आवाज लगाई परन्तु मित्र ने कोई उत्तर नहीं दिया।तब पिता पुत्र को एक दूसरे रास्ते से उसके मित्र के घर अन्दर ले गया। घर के अन्दर उसका मित्र अपनी पत्नी से कह रहा था रात में बोलना ठीक नहीं है। कोई भी व्यक्ति रात में तभी आता है जब वह बहुत दुःखी हो या रुपये की जरूरत हो। साहूकार ने यह सब बातें अपने पुत्र को सुना दीं।

इसके बाद वह अपने बेटे को साथ में लेकर अपने मित्र के घर आया तथा जेसे उसने अपने मित्र को आवाज लगाई दोस्त एक हाथ में तलवार और एक हाथ में रुपयों की थेली लेकर अपने मित्र की रक्षा के लिए आया। वह साहूकार के बेटे से बोला बेटा! मित्र ऐसा ही होना चाहिए।

Two Friends Short Story
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