Search

वृद्ध पिता द्वारा दिये गए चार रत्न – Four gems given by old father

!! वृद्ध पिता द्वारा दिये गए चार रत्न !!

एक लोक कथा के अनुसार पुराने समय में एक वृद्ध व्यक्ति अपनी बुद्धिमानी की वजह से गांव में बहुत प्रसिद्ध था। उसका एक बेटा था। गांव के लोग अपनी-अपनी परेशानियां लेकर उसके पास आते थे और वृद्ध उन्हें समस्याओं का सही निराकरण बता देता था। एक दिन वृद्ध को लगा कि उसका अंति समय करीब आ गया है तो उसने अपने बेटे को पास बुलाया और कहा कि मैं तुम्हें चार रत्न देना चाहता हूं, ये रत्न तुम्हें परेशानियां से बचाएंगे और तुम्हारा मन शांत रखेंगे। बेटे ने कहा कि ठीक है, आप मुझे ये रत्न दे दीजिए।

पिता ने कहा कि बेटा पहला रत्न है माफी। घर-परिवार या समाज में कोई कुछ भी कहे, तुम कभी भी किसी की बुरी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। कभी भी किसी से बदला लेने की भावना मत रखना। गलतियों के लिए लोगों को माफ कर देना। ये परिवार परिवार में जरूर ध्यान रखना।

hindi story picture

पिता ने कहा कि दूसरा रत्न है बुरी बातों को और अपने द्वारा किए गए भलाई के कामों को, मदद को भूल जाना। जब भी दूसरों की भलाई करो, मदद करो तो उसे याद मत रखना। इसी तरह बुरी बातें जो दुख देती हैं, उन्हें भी भूल जाओ।

तीसरा रत्न है भगवान पर विश्वास हमेशा रखना। किसी भी काम में सफलता के लिए कड़ी मेहनत करना और भगवान के साथ ही खुद पर पूरा भरोसा रखना।

चौथा रत्न है वैराग्य की भावना। ध्यान रखना कि जिसने जन्म लिया है, उसकी मृत्यु अवश्य होगी। कोई भी व्यक्ति मृत्यु के बाद अपने साथ कुछ भी लेकर नहीं जा सकता। इसीलिए किसी भी वस्तु या सुख-सुविधा के प्रति मोह न रखना। हमेशा वैराग्य की भावना रखना।

*शिक्षा :-*

उपर्युक्त प्रसङ्ग से यह शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए कि हमें भी उस बूढ़े पिता के द्वारा बताए गए चारों अमूल्य रत्न रूपी बातों को अपनाना चाहियें। और यदि हम परेशानी और अशांति से बचना चाहते हैं, तो हमें दूसरों को तुरंत माफ कर देना चाहिए।

Share this article :
Facebook
Twitter
LinkedIn

Leave a Reply