अगर हम चाहें तो मगरमच्छ के दांतों में फसे मोती को भी निकाल सकते हैं, साहस के बल पर हम बड़ी-बड़ी लहरों वाले समुद्र को भी पार कर सकते हैं, यहाँ तक कि हम गुस्सैल सर्प को भी फूलों की माला तरह अपने गले में पहन सकते हैं; लेकिन एक मुर्ख को सही बात समझाना असम्भव है।
गंगा स्वर्ग से निकल कर भगवान शिव के जटाओं में बंध जाती है, और वहां से मुक्त होकर हिमालय से होकर धरती पर आती है; और फिर गंगा मैदानी इलाकों में आती है, और मैदानों में आकर और नीचे जाते हुए अंततः समुद्र में मिल जाती है। ठीक इसी प्रकार मुर्ख भी अपने जीवन के साथ करते हैं। वे हमेशा सबसे सरल मार्ग अपनाते हुए सबसे निम्न स्तर पर पहुँच जाते हैं।
अपनी शिक्षाप्रद मीठी बातों से दुस्ट पुरुषों को सन्मार्ग पर लाने का प्रयास करना उसी प्रकार है जैसे एक मतवाले हाथी को कमल कि पंखुड़ियों से बस मे करना, या फ़िर हीरे को शिरीशा फूल से काटना अथवा खारे पानी से भरे समुद्र को एक बूंद शहद से मीठा कर देना।
हिंसक पशुओं के साथ जंगल में और दुर्गम पहाड़ों पर विचरण करना कहीं बेहतर है परन्तु मूर्खजन के साथ स्वर्ग में रहना भी श्रेष्ठ नहीं है !
साहित्य, संगीत और कला से विहीन मनुष्य साक्षात नाख़ून और सींघ रहित पशु के समान है। और ये पशुओं की खुद्किस्मती है की वो उनकी तरह घास नहीं खाता।
अगर कोई प्रसिद्ध कवि जो अपने शब्दों का सुन्दर इस्तेमाल करने में माहिर है, और शास्त्रों के ज्ञान में पारंगत है तथा अपने शिष्यों को भी पारंगत करने योग्य है; आपके राज्य में निर्धन है तो हे राजन यह आपका दुर्भाग्य है न की उस विद्वान कवि का!
ज्ञानी पुरुष आर्थिक संपत्ति के बगैर भी अत्यंत धनी होते हैं। बेशकीमती रत्नों को अगर कोई जौहरी ठीक से परख नहीं पाता तो ये परखने वाले जौहरी की कमी है क्यूंकि इन रत्नो की कीमत कभी कम नहीं होती।
ज्ञान अद्भुत धन है, ये आपको एक ऐसी अद्भुत ख़ुशी देती है जो कभी समाप्त नहीं होती। जब कोई आपसे ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा लेकर आता है और आप उसकी मदद करते हैं तो आपका ज्ञान कई गुना बढ़ जाता है।शत्रु और आपको लूटने वाले भी इसे छीन नहीं पाएंगे यहाँ तक की ये इस दुनिया के समाप्त हो जाने पर भी ख़त्म नहीं होगी।
अतः हे राजन! यदि आप किसी ऐसे ज्ञान के धनी व्यक्ति को देखते हैं तो अपना अहंकार त्याग दीजिये और समर्पित हो जाइए, क्यूंकि ऐसे विद्वानो से प्रतिस्पर्धा करने का कोई अर्थ नहीं है।
किसी भी ज्ञानी व्यक्ति को कभी काम नहीं आंकना चाहिए और न ही उनका अपमान करना चाहिए क्यूंकि भौतिक सांसारिक धन सम्पदा उनके लिए तुक्ष्य घास से समान है। जिस तरह एक मदमस्त हाथी को कमल की पंखुड़ियों से नियंत्रित नहीं किया जा सकता ठीक उसी प्रकार धन दौलत से ज्ञानियों को वश में करना असंभव है !