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सूर्य को अर्ध्य (जल) देने का वैज्ञानिक कारण स्पष्ट करें? – Explain the scientific reason for giving Ardhya (water) to the Sun.


सूर्य को अर्ध्य (जल) देने का वैज्ञानिक कारण स्पष्ट करें?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य को जल दिये बिना अन्न (भोजन) ग्रहण करना पाप है। अलंकारिक भाषा में वेद कहते हैं कि संध्या के समय सूर्य को दिये गये अध्य के जलकण वज्र ब- कर का नाश करते हैं। विज्ञान की दृष्टि में असुर कौन है। मनुष्योंা प्रताड़ित करने वाले ये असुर कौन हैं? ये निमोनिया, राजयक्ष्मा आदि रोग जिनको नष्ट करने की दिव्य शक्ति सूर्य की किरणों में होती है।
worshiping sun for fulfilling your needs on chhath is beyond reason -  NavBharat Times Blog


एंथ्रेक्स के बायरस जो कई वर्षों के शुष्कीकरण से नहीं मरते, वे सूर्य की किरणों से एक-डेढ़ घंटे में मर जाते हैं। हैजा, निमोनिया, चेचक आदि के कीटाणु पानी में डालकर उबालने पर नहीं मरते किंतु सूर्य की प्रभातकालीन किरणों से शीघ्र ही नष्ट हो जाते हैं। सूर्य को अध्ध्य देते समय साधक के ऊपर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं। शास्त्र अनुसार प्रातः काल पूर्व की ओर मुख करके तथा संध्या के समय पश्चिम की ओर मुख करके जल देना चाहिए। जल के पात्र (लोटे) को छाती के बराबर ऊँचाई रखकर जल गिरायें और लोटे के उभरे भाग को तब तक देखते रहें जब तक जल न समाप्त हो जाये। ऐसा करने से आँखों में मोतियाबिंद नहीं होता।
असुर ययफाइड,

आखिर क्यों ?
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