Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
धीरा रे मन धीरा, पाया नाम पदार्थ हीरा।
बांदी के बोल कलेजे में लागे, हुआ सुल्तान फकीरा।।
सुखदेवमुनि ने गुरूकनक ठहराए,काटी जन्म जंजीरा।
नारद मुनि की काटी चौरासी, गुरू मिले कालू कीरा।।
नाम देव ने गुरू बावड़ी पे मिलगे, मिट गई दिल की पीरा।
बिन सद्गुरु थारी मुक्ति नाहीं, कह गए दास कबीरा।।