डाटया ना डटेगा रे रोक्या ना रुकेगा रे
हंसा पावना दिन चार।
मंदिर में चोरी हुई रे हड़ा लखिना माल
पैड खोज चाला नहीं रे,या टूटी नहीं दीवार।।
पैड खोज चाला नहीं रे,या टूटी नहीं दीवार।।
फूंक धवन ते रह गई रे ठन्डे पड़े अंगार
आहरण का सांसा मिटा रे,लद गए मीत लुहार।
बीन बजन ते रह गई रे, टूटे त्रिगुण तार
बीन बेचारी क्या करे जब ,गए बजावन हार।।
आहरण का सांसा मिटा रे,लद गए मीत लुहार।
बीन बजन ते रह गई रे, टूटे त्रिगुण तार
बीन बेचारी क्या करे जब ,गए बजावन हार।।
हाथी छूटा ठान से रे कस्बे गई पुकार
सब दरवाजे बंद पड़े,यो निकल गए सरदार
चित्रशाला सुनी पड़ी रे उठ गए साहूकार।।
सब दरवाजे बंद पड़े,यो निकल गए सरदार
चित्रशाला सुनी पड़ी रे उठ गए साहूकार।।
दरी गलीचे न्यू पड़े रे,ज्यूँ चोपड़ पे सार
हाथ जलें ज्यूँ लकड़ी रे,केश जले ज्यूँ घास
जलती चिता ने देख के,हुआ कबीर उदास।।
हाथ जलें ज्यूँ लकड़ी रे,केश जले ज्यूँ घास
जलती चिता ने देख के,हुआ कबीर उदास।।