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माता-पिता की सेवा न करने का फल

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माता-पिता की सेवा न करने का फल

भयंकर कोढ़ से पीड़ित एक व्यक्ति दुकान-दुकान और गली – मुहल्ले में घूम रहा था। जब वह एक घर के द्वार पर भिक्षा माँगने पहुँचा तो वहाँ पर उस समय एक ज्योतिषी बैठा हुआ था। कोढ़ी को देखकर उस घर का स्वामी ज्योतिषी महाराज से बोला – आप कहते हैं कि मैं प्रश्न के द्वारा तीन जन्मों का हाल सही-सही बता सकता हूँ, तो क्या आप इस कोढ़ी व्यक्ति के भाग्य के बारे में कुछ बता सकते हैं?
ज्योतिषी महाराज बोले–क्यों नहीं? मैं आपके प्रश्न द्वारा अभी इसके पूर्व जन्म का वर्णन बताता हूँ। तदनन्तर अपने गणित का हिसाब लगाकर जो फलादेश उन्होंने लिखकर दिया, वह इस प्रकार था-इसने पूर्व जन्म में और इस जन्म में भी अपने माता – पिता की सेवा नहीं की अपितु उन्हें हर प्रकार का दुःख पहुँचाया। यह न तो उनका कहना मानता था और न उनकी शिक्षा पर अमल करता था। फिर भी वे मोहवश इसकी बुराइयों की ओर ध्यान न देकर इसके शरीर को हर प्रकार से सुख देने का प्रयत्न करते रहते थे।
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हे पापात्मा! जिन्होंने अपने शरीर के रक्त से तेरे शरीर का निर्माण किया उसे तूने न केवल भोजन और वस्त्र दिये बल्कि उन्हें हर प्रकार का कष्ट पहुँचाया।
तूने उनके कर्म का बदला तनिक भी नहीं चुकाया । उन्हें दिन-रात कष्ट पहुँचाकर उनके शरीर को जलाता रहा। इसी कारण शरीर पूरा होने पर नरक भोगना पड़ेगा और आयु पर्यन्त इस भयंकर कोढ़ से पीड़ित रहना पड़ेगा। ज्योतिषाचार्य जी की बात सुनकर सभी विस्मित रह गये और उन्होंने अपने-अपने माता-पिता की सदैव आज्ञा में रहकर तन-मन से सेवा करने की प्रतिज्ञा की।
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