बनिये की चतुरता
एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा कि संसार में सबसे योग्य तथा चतुर किस ज़ाति के लोग होते हैं। बीरबल ने बताया-महाराजा। वैश्य अधिक चतुर होते हैं। फिर अकबर ने पूछा-अच्छा बताओ, सबसे अधिक मूर्ख कौन होते हैं।
बीरबल ने उत्तर दिया – मुल्ला । | बादशाह अकबर इन कोरी बातों पर विश्वास करने वाला नहीं था। उसने बीरबल से इसकी सत्यता सिद्ध करने को कहा। बीरबल ने कहा कि यदि सरकार कुछ रुपया खर्च करें। तो निश्चय ही इसकी सत्यता दिखाई जा सकती है। बादशाह ने बीरबल की बात मान ली। बीरबल ने शहर के प्रधान मुल्ला को बुलवाया और अकबर से कुछ भी हस्तक्षेप न करने की प्रार्थना की।
जब मुल्ला दरबार में आ गया तो बीरबल ने मुल्ला से कहा – बादशाह सलामत को आपकी दाढ़ी की आवश्यकता है। इसके बदले में तुम जो कुछ कहोगे वह इनाम आपको दे दिया जायेगा। यह सुनकर मुल्लाजी की ऊपर की सांस ऊपर और नीचे की सांस नीचे रह गई। मुल्लाजी बोले – दीवान जी! दाढ़ी तो खुदाबन्द अल्ला की खास और प्यारी वस्तु है। इसे कैसे दिया जा सकता है?
यह असम्भव है? बीरबल भी पूरे गुरु थे। वे जानते थे कि “भय बिना ‘ प्रीति न होय गोपाला।’ कुछ गरम होकर बोले कि हाँ ठीक है जीवन भर जिसका नमक खाया है उसके लिए आप जरा सी चीज को मना कर रहे हैं। ! मुल्लाजी ने अब जरा सी भी आनाकानि न की। बेचारे सीधे स्वभाव में बोले – सरकार! मैं देने को मना नहीं कर रहा हूँ, बस मुझे पाँच रुपये दे दीजियेगा। पाँच रुपये देकर मुल्लाजी की दाढ़ी मुंडवा कर रखवा ली। अब बीरबल ने शहर के सबसे रईस वैश्य को बुलवाया
जिसकी दाढ़ी काफी लंबी थी। बीरबल ने वही प्रश्न वैश्य से किया जो मुल्लाजी से किया था। वैश्य ने बहुत गिड़ गिड़ाकर कहा – जहॉपनाह! आप ही हमारे माई बाप हैं, जो चाहे सो करें। हम तो जहाँपनाह गरीब व्यक्ति हैं। बीरबल बोले – इसमें अमीर गरीब की बात कहाँ से आ गई, जो कीमत माँगोगे वह दे दी जायेगी।
वैश्य फिर गिड़गिड़ाकर बोला – सरकार! आप हमारे अन्न दाता हैं। बीरबल ने डाँटते हुए कहा – साफ, साफ क्यों नहीं कहते, तुम्हें कितने रुपये चाहिए? लालाजी दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए बोले – सरकार! जब । मेरी माँ का स्वर्गवास हुआ था तो इसी दाढ़ी के खातिर पाँच ‘ हजार रुपये और जब पिता का स्वर्गवास हुआ था तो उसमें भी पाँच हजार रुपये खर्च किये थे। तथा जब दोनों माँ बाप की गया जी करवाया तो दस हजार रुपये खर्च कर ब्राह्मणों को भोजन कराया था।
सरकार तो सभी कुछ जानते हैं। इस दाढ़ी के कारण ही हमारा समाज में प्रभाव है। बीरबल बोले – अच्छा बीस हजार का खर्चा हुआ था। इसलिए बीस हजार रुपये पकड़ो और दाढ़ी बादशाह को दे दो। । लालाजी रुपये लेकर चुपके से नाई के सामने झुक गये।
जैसे ही नाई ने बाल मुलायम करके पानी को लगाकर करारा सा हाथ मारा तो लालाजी ने नाई के मुँह पर एक करारा सा चॉटा जड़ दिया और उससे कहा कि यह कोई बनिये वनिये की दाढ़ी हे जो इस तरह से दाढ़ी पर हाथ जमाता है और उसे मसलना चाहता है। तुझे पता है कि अब यह दाढ़ी बादशाह सलामत की दाढ़ी है। बादशाह ने उसकी इस धृष्ठता पर दरबार से बाहर निकलवा दिया। बाद में बादशाह अकबर समझ गये कि कौन होशियार है?