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समझ का फेर – change of understanding anmol kahani

समझ का फेर

फेर समझ का है, बुरा इसमें जो पड़ जाय। 
मुरली मनोहर नाम को, अपना पति बताय॥ 
एक आठ वर्षीय लड़की प्रतिदिन ईश्वर की पूजा किया करती थी और पूजा के पश्चात्‌ दोनों हाथ जोड़कर प्रतिमा के सम्मुख जोर-जोर से कहती थी –
समझ का फेर - change of understanding anmol kahani

 

 
काली मर्दन, कंस निकंदन, गिरवर धारी।
“मुरली मनोहर त्वं. शरणम्‌”! 
वह इस छन्द को पढ़ने से पहले पानी तक ग्रहण नहीं करती थी।
जब वह 15-16 वर्ष की हो गई तो उसके माता-पिता ने उसका विवाह बड़ी धूमधाम से कर दिया। ससुराल में भी उसका पूजा पाठ का कार्यक्रम चालू रहा। उसे एक दिन पता चला कि उसके पति का नाम भी “मुरली मनोहर ” है।  उसने विचार किया कि पति देव का नाम तो संकट पड़ने पर ही लेना चाहिए। वह विचार करने लगी कि मेरे काली मर्दन वाले प्रार्थना के छन्द में मेरे पतिदेव का नाम आता है।  इसलिए उसने पूजा-पाठ तो जारी रखा परन्तु प्रार्थना के  छन्‍द को बोलना छोड़ दिया। उस भोली भाली लड़की की  समझ में यह नहीं आया कि इस छन्‍्द में जो मुरली मनोहर नाम आ रहा है वह परमेश्वर को सम्बोधित किया गया है।
कुछ समय बीत जाने पर उसने एक कन्या को जन्म  दिया। उसका नाम “चम्पो ” रखा गया। अब वह पूजा पाठ  के पश्चात्‌ इस प्रकार प्रार्थना उच्चारण करने लगी-
 
काली मर्दन कंस निकंदन गिरवर धारी 
चम्पो के चाचा त्वं शरणम्‌ 
भाइयों! प्राय: यह देखने में आता है कि कुछ स्त्रियाँ एवं पुरुष समझ के फेर में वास्तविक बात को भूलकर कभी-कभी अनाधिकार चेष्टा कर बैठते हैं। कभी-कभी उनका भोलापन भी हानिकारक हो जाता है, जिसके कारण मानव समाज को कभी-कभी नीचा देखना पड़ जाता है। अतः स्त्री व पुरुषों को बहुत सोच समझकर कार्य करना चाहिए। इससे वह फलीभूत होगा।
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