परिवर्तन [कविता]
बदली छायी मौसम कितना बदल गया!
सब ओर कि दिखता नया-नया!
सब ओर कि दिखता नया-नया!
सपना – जो देखा था साकार हुआ,
अपने जीवन पर अपनी किस्मत पर
अपना अधिकार हुआ।
समता का बोया था
जो बीज-मंत्र पनपा, छतनार हुआ।
सामाजिक-आर्थिक नयी व्यवस्था का आधार बना।
शोषित-पीड़ित जन-जन जागा,
नवयुग का छविकार बना।
नवयुग का छविकार बना।
साम्य-भाव के नारों से
नभ-मंडल दहल गया!
मौसम कितना बदल गया!
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नभ-मंडल दहल गया!
मौसम कितना बदल गया!
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