कबीर भजन तन का तनिक भरोसा नाहीं, काहे करत गुमाना रे। टेढ़ चले मरोड़ मूंछे, विषय याहि लिपटाना रे। ठोकर लगे चेतकर चलना,कर जान प्रान पियारा रे। मेरा मेरा करते डोले,माया देख लुभाना रे। या बस्ती में रहना नाहीं, साचा धर उठ जाना। मीर फकीर और जोगी, रहा ना राजा रानी रे । पर तक तक मारे काल, अचानक बाना …