Search

सबसे बड़ा आश्चर्य

वनमें धर्मराज युधिष्ठिरके चारों भाई सरोवरके किनारे मृतकके समान पड़े थे। प्यास तथा भ्रातृशोकसे व्याकुल युधिष्ठिरके सम्मुख एक यक्ष प्रत्यक्ष खड़ा था। यक्षके प्रश्नोंका उत्तर दिये बिना जल पीनेके प्रयत्रमें ही भीम, अर्जुन, नकुल तथा सहदेवकी यह दशा हुई थी। युधिष्टिरने यक्षको उसके प्रश्नोंका उत्तर देना स्वीकार कर लिया था। यक्ष प्रश्नपर प्रश्न करता जा रहा था। युधिष्ठटिरजी उसे धैर्यपूर्वक उत्तर दे रहे थे। यक्षके अन्तिम ग्रश्नोंमेंसे एक प्रश्न था–‘ आश्चर्य कया है?’ अहन्यहनि भूतानि गच्छन्तीह यमालयम्‌। शेषा: स्थिरत्वमिच्छन्ति किमाश्चर्यमतः परम्‌॥ “नित्य-नित्य –प्रतिदिन प्राणी यमलोक जा रहे हैं। (सब देख रहे हैं कि प्रतिदिन उनके आसपास लोग मर रहे हैं)। परंतु (फिर भी) बचे हुए लोग स्थिर (अमर) बने रहना चाहते हैं, इससे बड़ा आश्चर्य और क्या होगा।’ यह उत्तर था धर्मराजका | 

Share this article :
Facebook
Twitter
LinkedIn

Leave a Reply